माइकल हसी के बल्ले का किनारा लेती वह गेंद स्लिप में खड़े राहुल द्रविड़ को परास्त करती हुई थर्ड मैन सीमा रेखा के बाहर पहुंच गई। गेंदबाज ईशांत शर्मा के चेहरे पर हताशा उभर आई। भारतीय टीम के चाहने वालों के लिए भी यह झकझोरने वाला पल था। एक बारगी लगा कि हाथ में आए इस मौके के बाद माइकल हसी नहीं चूकेंगे। बेंगलुरु की तरह एक बार फिर मोहाली में भी वो एक मजबूत पारी के सहारे आस्ट्रेलिया को किनारे तक ले जाएंगे।
इससे पहले कि हम सभी इसी सोच विचार में डूबते उतरते, हसी पैवेलियन लौट रहे थे। ईशांत की ऑफ स्टंप पर पड़कर बाहर जाती गेंद पर हसी अपना बल्ला अलग नहीं कर पाए थे। कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी के दस्ताने में जाती गेंद के साथ ही हसी की मजबूती लेती पारी ढह गई। भारत को आस्ट्रेलिया का सबसे कीमती विकेट मिल चुका था। मुकाबला अब भारत की तरफ मुड़ रहा था।
ये ईशांत शर्मा का सिर्फ एक विकेट नहीं था। इस विकेट तक पहुंचते हुए ईशांत की गेंदबाजी सोच से हम रुबरु हो रहे थे। तेजी और उछाल के साथ अपने ऑफ स्टंप की सटीक दिशा के सहारे वो बल्लेबाज के जेहन में संदेह का एक जाल बुन रहे थे। इस हद तक कि एक गेंद से पार पाने के बावजूद बल्लेबाज उससे मुक्त नहीं हो पा रहा था। ईशांत एक सिलसिले की तरह लगातार आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को एक मनोवैज्ञानिक दबाव में ला रहे थे।
फिर,यह अकेले ईशांत शर्मा ही नहीं थे। ज़हीर खान से लेकर अऩुभवी हरभजन सिंह और अपना पहला टेस्ट खेल रहे अमित मिश्रा तक भारत के चारों गेंदबाज आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर चौतरफा मार कर रहे थे। वो भी मोहाली के इस सपाट विकेट पर। ऐसा विकेट, जहां टेस्ट क्रिकेट में 292 विकेट ले चुके ब्रेटली का अनुभव और तेजी भी अपना असर नहीं छोड़ पायी। लगातार 140 की रफ्तार से गेंद फेंकने वाले जॉनसन बेंगलुरु की तरह भारतीय बल्लेबाजों के विकेटों तक नहीं पहुंच पाए। ऐसे में भारत की इस चौकड़ी का रिकी पोंटिंग की टीम को फॉलोऑन के कगार तक खींच लाना उनके इरादों और सोच की मिसाल है। करीब साढे चार रन की रफ्तार से टेस्ट में वनडे का रोमांच पैदा करने वाले आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को करीब ढाई रन की औसत पर रोक देना काबिल ए तारीफ है।
इन चारों गेंदबाजों ने हेडन से लेकर पोंटिंग तक और हसी से लेकर हैडिन तक अपने हर विकेट के लिए एक जाल बुना। अगर इयान चैपल के शब्दों में कहें तो आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों को उनकी क्रीज में ही रोकते हुए उनके कदमों को थाम लिया। आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने अपने विकेट नहीं गंवाए, भारतीय गेंदबाजों ने उन्हें परास्त कर उनकी सोच से आगे जाते हुए ये विकेट हासिल किए। आस्ट्रेलियाई पारी में बड़ी साझेदारियां शक्ल ले पाती, उससे पहले ही गेंदबाजों ने उन्हें तोड़ दिया। यहां तक कि वाटसन और ब्रेटली के बीच आठवें विकेट के लिए 78 रन की साझेदारी में भी कभी लगा नहीं कि भारतीय गेंदबाज अपनी मंजिल तक नहीं पहुंच पाएंगे।
फिर इस मंजिल की शुरुआत पारी की तीसरी गेंद पर ही जहीर खान ने लगातार तीसरी बार हेडन को पैवेलियन भेजते हुए की थी। बेंगलुरु टेस्ट के मैन ऑफ द मैच रहे जहीर ने मोहाली में भी अपनी लय को बरकरार रखा। विकेट के मिजाज को भांपते हुए उन्होंने गेंदों की लंबाई को बेहद सटीकता से बनाए रखा । इस हद तक कि चाहे गेंद नयी थी या पुरानी-बल्लेबाजों को आखिरी वक्त तक उसके मूवमेंट से जूझना पड़ा। बीच बीच में वो कुछ शॉर्ट गेंदें फेंककर बल्लेबाज के धैर्य और एकाग्रता को परख रहे थे। हां, इतना जरुर रहा कि जहीर बेहतरीन गेंदबाजी करने के बावजूद हेडन के विकेट की शुरुआत को सिलसिले में तब्दील नहीं कर सके।
लेकिन,ठीक इसी बिन्दु पर कप्तान अऩिल कुंबले की जगह पहला टेस्ट खेलने उतरे अमित मिश्रा ने कोई चूक नहीं की। टेस्ट के पहले दिन टॉस के दौरान ही कप्तान धोनी ने मिश्रा को लेकर बेहद सटीक कमेंट किया था। इस नौजवान गेंदबाज की कुंबले से तुलना करते हुए धोनी का कहना था- "मिश्रा कुंबले से बेहद अलग हैं। वो गेंदों को ज्यादा फ्लाइट और टॉस कराते हैं।" अमित मिश्रा ने अपनी गेंदबाजी में अपने कप्तान की इस सोच को ज़रा भी डिगने नहीं दिया। अमित मिश्रा गेंद को हवा देते हुए न सिर्फ लेग स्पिन या गुगली का इस्तेमाल कर रहे थे बल्कि वो एक ही लूप,लाइन और दिशा से अपनी गेंदों में विविधता ला रहे थे। बॉलिंग क्रीज में एक ही जगह से वो अलग अलग गेंदें फेंकने में अपनी पहचान दर्ज करा रहे थे। इसी का नतीजा था कि बल्लेबाज अपनी क्रीज मे ही ठहर कर रह गए।
कैमरोन व्हाइट उनकी गुगली को पढ़ने में पूरी तरह नाकाम रहे। गेंद उनके बल्ले और पैड के रक्षण को चीरते हुए उनका विकेट ले उड़ी। वाटसन लेग स्टंप से कुछ ही बाहर पड़कर अंदर आई गेंद पर जब तक बैकफुट पर जाकर अपना बल्ला अड़ाते वो विकेट के ठीक सामने मौजूद थे। इसी के चलते दूसरे दिन साइमन कैटिच और माइकल क्लार्क का बेशकीमती विकेट लेने वाले अमित मिश्रा पहली ही पारी में पांच विकेट की मंजिल तक जा पहुंचे।
अमित मिश्रा के मुकाबले अनुभवी हरभजन सिंह ने महज दो आस्ट्रेलियाई विकेट ही निकाले। लेकिन अपनी गेंदों को लगातार पहले से ज्यादा हवा देते हुए वो बेहद आक्रामक दिख रहे थे। एक फ्लाईडेट गेंद पर फ्रंटफुट पर ड्राइव करने निकले हैडिन की हवा में लहराती गिल्लियों में आप हरभजन की इस धार को महसूस कर सकते थे। फॉरवर्ड डिफेंस पर गए ब्रेटली के बल्ले का किनारा लेकर स्लिप में राहुल द्रविड़ के हाथ में ठहरी गेंद में आप इसे पढ़ सकते है।
बहरहाल,मोहाली में आस्ट्रेलियाई टीम टेस्ट बचाने को जूझ रही है। भारत को अगर जीत तक पहुंचना है तो इस चौकड़ी को इस अधूरे काम को पूरा करना होगा। मैच की चौथी पारी में आस्ट्रेलिया के बाकी दस विकेट लेते हुए। ये मुश्किल और चुनौती भरा है,लेकिन पहली पारी में इस चौकड़ी के बेहतरीन प्रदर्शन के बाद यह नामुमकिन नहीं लगता। खासतौर से ये देखते हुए कि इस चौकड़ी में एक नहीं चारों स्ट्राइक गेंदबाज की भूमिका में हैं।
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1 comment:
बढिया लिखा आपने। सबसे बढिया बात है मिश्रा का प्रदर्शन और दादा का शतक । सभी कुछ अच्छा जा रहा है हम यह टेस्ट जीत जायेगें।
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