सौरव गांगुली ने अपनी इस यादगार पारी में दो बार अपने दांहिने हाथ की मुट्ठियों को भींचा। कोहनी को मोड़कर ड्रेसिंग रुम की तरफ लहराया। पहली बार हाफ सेंचुरी के पार जाते हुए। दूसरी बार इसी पारी को शतक में तब्दील करते हुए। पहली बार ड्रेसिंग रुम से ठीक इसी अंदाज मे जवाब देते हुए हरभजन दिखायी दिए। दूसरी बार कैमरा चयनसमिति के अध्यक्ष कृष्णामाचारी श्रीकांत की खुशी को कैद करता दिखा। ये दो अलग मौके थे। दो अलग अलग शख्सों को कैमरे की गिरफ्त में लेते हुए। लेकिन, सौरव का संदेश शायद एक ही था- "मेरे बाजुओं में अब भी है दम।"
सौरव मोहाली में आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट में अपनी 16वीं टेस्ट सेंचुरी तक पहुंचते हुए बार बार सिर्फ यही संदेश देना चाहते थे। सौरव के इस संदेश की गूंज मोहाली में खेले जा रहे सीरिज के दूसरे टेस्ट की सरहदों को लांघते हुए उनके हर एक आलोचक और दीवानों तक पहुंच गई होगी। आखिर, आस्ट्रेलिया के खिलाफ अपनी इस विदाई सीरिज में अपने खेल को नयी ऊंचाइयों की ओर ले जाकर अलविदा कहने की इसी इकलौती सोच के साथ ही सौरव विकेट पर जो पहुंच रहे हैं। बेंगलुरु से लेकर मोहाली के बीच विकेट बदल रहे हैं,लेकिन सौरव की सोच और इरादों में कहीं कोई भटकाव नहीं है।
बेंगलुरु के मुकाबले बेशक मोहाली का विकेट बेहद सपाट और बल्लेबाजों के स्ट्रोक के लिए माकूल हो लेकिन इसके बावजूद सौरव का यह शतक उनके पहले 15 शतकों पर भारी पड़ जाता है। सौरव के लिए ये एक सिर्फ टेस्ट शतक नहीं है। इस सीरिज से ठीक पहले हाशिए पर छूट गए सौरव की मौजदूगी को दर्ज कराता शतक है। ये अपने खेल में फीनिक्स की तरह बार बार वापसी की पहचान को और मजबूती से गढ़ती पारी है।
यही वजह है कि इस पारी में उनके बल्ले से निकला हर रन उनके मजबूत इरादों की बानगी बनकर सामने आता रहा। करीब छह घंटे तक विकेट पर बिताए उनके हर एक पल में कोई भी उनकी दृढ़ता और धैर्य को पढ़ सकता था। सौरव की इस शतकीय पारी के मायने इसलिए भी बढ़ जाते हैं क्योंकि सचिन तेंदुलकर के शिखर की गूंज में भी उनकी पारी कहीं खोयी नहीं। ये बल्लेबाज सौरव की उस शख्सियत को भी उभारती है कि मोहाली में सचिन के शिखर के बीच भी उनकी इस पारी की रवानगी कहीं थमी नहीं। सचिन के विकेट पर मौजूद रहते हुए और उनके वापस ड्रेसिंग रुम लौटते हुए पूरी एकाग्रता से सौरव अपनी पारी को गढ़ते चले गए।
इस यादगार पारी के दौरान सौरव की टाइमिंग बेजोड़ थी। टेस्ट के दूसरे दिन शनिवार को ब्रेटली की थोड़ी सी शॉर्टपिच गेंद को स्कॉयर लेग से बाहर भेजता पुल स्ट्रोक हो या मिशेल जॉनसन की ओवर पिच गेंद को बेहद सटीकता से इसी दिशा में मोडऩा, सौरव के कदम, उनकी सोच और उनका बल्ला सब एक ही लय में दिखायी दे रहे थे। इतना ही नहीं,टाइमिंग के साथ ही मौका मिलने पर वो अपनी पहचनान बन चुके ऑफ ड्राइव के शॉट खेलने में भी चूक नहीं कर रहे थे।
लेकिन,सौरव की पारी में ये सिर्फ स्ट्रोक ही नहीं थे, जो याद रह गए। अपनी टीम को मजबूती की ओर ले जाने में सौरव की सोच भी बेजोड़ थी। वो एक छोर को चट्टान की तरह थामे खड़े थे। दूसरे छोर पर पहले तेंदुलकर और फिर धोनी को बराबर स्ट्राइक का मौका देते हुए। इसी कड़ी में पहले तेंदुलकर और फिर कप्तान धोनी के साथ दो शतकीय साझेदारियां भी उन्होंने पूरी कीं। इसी का नतीजा रहा कि भारत पोंटिंग की इस वर्ल्ड चैंपियन टीम के खिलाफ पहली पारी में पहाड़ सा स्कोर खड़ा कर पाया।
सौरव ने अपनी इस पारी से अपने करियर को भी शिखर की ओर मोड़ दिया है। वो इस सीरिज में एक "समझौते" की टीस के साथ टीम से जुड़े थे। भारत के सबसे कामयाब कप्तान और अपनी वापसी को फीनिक्स की कहानियों में तब्दील करने वाले सौरव पर समझौतों की छाया मंडरा रही थी। इस एक छाया से सौरव को उबरना था ताकि अपने लाजवाब क्रिकेट करियर को इतिहास की एक इबारत में तब्दील कर दें। सौरव ने मोहाली में अपनी कामयाबियों पर पड़ती छाया को अपनी इस शतकीय पारी से उबार दिया। इसलिए अब ये शिखर की ओर बढ़ते सौरव हैं, न कि समझौते की टीस के साथ विकेट पर पहुंचते सौरव। अब हम सभी को सौरव की विदाई सीरिज के शिखर का इंतजार रहेगा। एक यादगार विदाई। भारतीय क्रिकेट में नयी इबारत लिखती विदाई। तो चलिए, हम सब इस सीरिज के हर गुजरते लम्हे के साथ उस विदाई की भी अगुवानी करें।
Saturday, October 18, 2008
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2 comments:
bahut khub, aalekh padh kar maja aa gaya.
सौरभ की यह पारी सचमुच याद रहेगी और याद रहेगा सौरभ की इस पारी को दर्ज करता यह मार्मिक लेख..
चंदन श्रीवास्तव
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