दिन वक्त और साल। आस्ट्रेलिया कप्तान रिकी पोंटिंग के लिए गुरुवार की दोपहर बेंगलुरु के चेन्नास्वामी स्टेडियम में सब ठहर गया। अनिल कुंबले के हाथ से गेंद छूटी, कुछ धीमी और ऑफ स्टंप के बाहर। 99 रन पर खेल रहे पोंटिंग ने अपना मौका भांपा। गेंद को पूरे आत्मविश्वास के साथ प्वाइंट की ओर दिशा देते हुए अपने टेस्ट करियर के 36वें शतक की ओर बढ़ निकले। तीसरे रन को पूरा करते करते उनके दोनों हाथ हवा में लहराए। फिर एक हाथ से हवा में मुठ्ठी को तानते हुए चिल्लाए। और फिर दोनों हाथ हवा में लहराते हुए उनके चेहरे पर एक संतुष्टि का भाव तैर गया। एक आत्मसंतोष।
पोंटिंग के लिए आत्मसंतुष्टि और आत्मसंतोष का लम्हा था। बावजूद इसके कि पोंटिंग इससे पहले भी अपनी पारी को 35 बार तीन अंकों में ले जा चुके थे। बावजूद इसके कि पोंटिंग की ये पारी उन्हें सचिन तेंदुलकर के उन 39 सेंचुरी के शिखर के और नजदीक ले गई थी लेकिन ये आत्मसंतोष इससे अलग था। दरअसल,इस शतक ने पोंटिंग को एक बहुत बढ़े दबाव से मुक्त कर दिया था। टेस्ट क्रिकेट मे दस हजार से ज्यादा रन, 58 से ज्यादा की बेहतरीन औसत के बावजूद भारत की ज़मी पर पोंटिंग अपनी औसत को 12.28 से आगे नहीं ले जा पाए थे। इस शतक से पहले आठ टेस्ट में 14 पारियां खेलने के बावजूद पोंटिंग अपने खाते में सिर्फ 172 रन ही जोड़ पाए थे।
फिर,पोंटिंग आज जब क्रीज पर पहुंचे तो यही अकेला दबाव नहीं था। मैच की तीसरी ही गेंद पर मैथ्यू हेडन पैवेलियन लौट चुके थे। हेडन का पैवेलियन लौटना सिर्फ एक विकेट का गिरना नहीं था। ये भारत में भारत केखिलाफ उनके सबसे कामयाब बल्लेबाज मैथ्यू हैडन का विकेट था। फिर,इस मोड से पोंटिंग का मोर्चा संभालना था। सिर्फ एक बल्लेबाज की हैसियत से नहीं, एक कप्तान की भूमिका में बाकी साथियों के लिए मिसाल पेश करते हुए आगे की राह आसान करनी थी। अपने करियर में चुनौतियों की आंख में आंख डालकर सामना करना पोंटिंग की पहचान है। इंग्लैंड में एशेज गंवाने के बाद अपने घर में उन्हें 5-0 की करारी शिकस्त से लेकर ऐसे ढेरों लम्हे हैं,जहां से पोंटिंग ने एक बार फिर वापसी की। आज भी मैच के शुरुआती और बेहद नाजुक मोड़ पर पोंटिंग ने कोई चूक नहीं की। इन विपरित हालात के बीच उन्होंने एक बेजोड़ शतकीय पारी का आगाज़ किया। अपने आक्रामक तेवरों से उलट,बेहद धैर्य से हर गेंद को उसकी मैरिट पर खेलना शुरु किया। भारत के पिछले दौरे की गतलियों से सबक लेते हुए इस बार वो गेंद को खेलने में कोई जल्दबाजी नहीं दिखा रहे थे। जानकारों के मुताबिक पोंटिंग का बल्ला अब पैड के पीछे नहीं,सामने था। वो अपने स्ट्रोक्स को चुनने में भी बेहद सावधानी बरत रहे थे। ईशांत शर्मा की गेंद पर जमाए अपने पहले चौके में इसकी झलक महसूस की जा सकती है। ऑफ स्टंप पर पड़ी थोड़ी सी ओवरपिच गेंद पर वो चाहते तो अपनी पहचान के मुताबिक अपने बल्ले का मुंह खोलते हुए कवर ड्राइव के सहारे सीमा रेखा के बाहर भेजते।
लेकिन,गेंदबाज को अपने विकेट तक पहुंचने का मौका न देने का इरादा कर उतरे पोंटिंग ने बेहद सीधे बल्ले से ऑफ ड्राइव के जरिए गेंद को बाउंड्री तक पहुंचाया। उनके स्ट्रोक में आप उनके इरादों को महसूस कर सकते थे। भारतीय विकेटों पर उनका खुद में लौटता आत्मविश्वास पढ़ सकते थे।
ये पोंटिंग के आत्मविश्वास की ही बानगी थी कि राउंड द विकेट गेंदबाजी कर रहे हरभजन को उन्होंने टर्न के सहारे मिडविकेट के ऊपर से लॉफ्ट करने में कोई देरी नहीं की। ये वही हरभजन थे,जिनके खिलाफ हर कोई उन्हें एक नौसिखिया बल्लेबाज की तरह पेश करता है। हालांकि,हरभजन ने गुरुवार को एक बार फिर उनकी पारी का अंत किया,लेकिन हरभजन के खिलाफ वो सबसे ज्यादा आक्रामक मूड में थे। हरभजन के खिलाफ करीब 75 से ज्यादा का उनका स्ट्राइक रेट यह साबित भी करता है।
फिर.पर्थ में पिछले टेस्ट मैच के दौरान ईशांत शर्मा के खिलाफ दुविधा में दिख रहे पोंटिंग ने आज उन पर भी काबू पाना शुरु किया। लंच से पहले जरुर ईशांत शर्मा ने अपनी गेंदों की रफ्तार में बदलाव करते हुए उन्हें कुछ परेशान किया लेकिन लंच के बाद के दौर मे पोंटिंग ईशांत शर्मा पर भी पकड़ जमाते दिखायी देने लगे। ईशांत के खिलाफ जमाए उनके स्कायर ड्राइव में आप इसकी झलक देख सकते हैं।
दरअसल,गुरुवार को पोंटिंग ने बेहद सलीके से अपनी पारी को गढ़ा। न सिर्फ उन्होंने हरभजन और कुंबले के खिलाफ अपने को कट स्ट्रोक्स से रोका बल्कि बेहतर गेंदों के खिलाफ आक्रमण करने की अपनी स्वाभाविक सोच से हटकर उन्होंने उसे अपने विकेट से दूर रखने में कामयाबी पायी। इसी का नतीजा था कि एक बार फिर पोंटिंग के बल्ले से उनका बहुमुखी टेलेंट झलक रहा था। उनका अपने मे विश्वास लौट आया था। ये न सिर्फ पोंटिंग की एक शतकीय पारी थी। ये उनकी भारतीय गेंदबाजों के खिलाफ एक मनोवैज्ञानिक जीत है। उनकी अपने खोए भरोसे पर बड़ी जीत है। इससे भी बढ़कर ये आस्ट्रेलियाई टीम के लिए एक मिसाल है,जहां कैटिच से लेकर हसी तक सभी खिलाड़ी अपने कप्तान के नक्शेकदम पर चल अपनी टीम को जीत की राह पर ले जाने के लिए जुटे दिख रहे हैं। इन सबके बीच ये पोंटिंग की पिछले 35 शतकों पर भारी पड़ती अकेली शतकीय पारी है।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
1 comment:
Typically, a drop bucket is used for low-denomination slot machines and a drop field is used for high-denomination slot machines. A drop field accommodates a hinged lid with one or more of} locks whereas a drop bucket does not include a lid. The contents of drop buckets and drop packing containers are collected and counted by 토토사이트 the on line casino on a scheduled foundation. Denominations can vary from 1 cent ("penny slots") all greatest way|the means in which} as much as} $100.00 or more per credit score. The latter are sometimes identified as|often known as} "high limit" machines, and machines configured to allow for such wagers are sometimes located in devoted areas . The machine automatically calculates the variety of credits the participant receives in change for the money inserted.
Post a Comment