(इस समय ऑस्ट्रेलिया ए क्रिकेट टीम भारत में खेल रही है और टीम में तीन फिरकी गेंदबाज़ों को जगह दी गयी है। दरअसल ऑस्ट्रेलिया को एक ऐसे गेंदबाज़ की तलाश है जो राष्ट्रीय टीम में स्पिनर की खाली पड़ी जगह को भर सके। इन हालात में याद आता है ऐसा फिरकी गेंदबाज़, जिसके जैसा स्पिनर ऑस्ट्रेलिया ने ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया ने कभी नहीं देखा था। और इसीलिए आज बात शेन वार्न की...)
आज से 15 साल पहले मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान पर एशेज में एक गेंदबाज ने अपनी पहली गेंद फेंकी। इंग्लैंड के पूर्व कप्तान माइक गैटिंग सामने थे। गेंदबाज के हाथ से छूटते ही गेंद हवा में लहराई, लेग स्टंप के बाहर टप्पा खाया और गैटिंग का बल्ला पूरे डिफेंस के साथ आया। गेंद ने करीब करीब नब्बे डिग्री का कोण बनाते हुए बल्ले को परास्त किया। ऑफ स्टंप के ऊपरी हिस्से से टकराते हुए गेंद गिल्लियां बिखेर गई। आस्ट्रेलियाई खेमा खुशी में झूम उठा। एकबारगी गैटिंग ने सोचा शायद एलबीडब्लू की अपील हुई। लेकिन,पीछे मुड़कर देखा तो वो दंग रह गए कि गेंद उनका विकेट उड़ा चुकी थी। वो घूमती गेंद गैटिंग की पारी का अंत कर चुकी थी। लेकिन,वो गेंद घूमने का सिलसिला थमा नहीं। बॉल ऑफ द सेंचुरी कही गई गेंद के बाद उस सीरिज में 34 विकेट लेकर वो एक नए नायक के साथ उबरकर सामने आया। इस अंदाज़ में कि जब जब एशेज में उसके हाथों में गेंद होती, इंग्लैंड के बल्लेबाजों के हौसले पस्त हो जाते। अकेले इंग्लैंड के खिलाफ उसने 36 टेस्ट मैच में 195 विकेट लिए।
जी हां, हम बात कर रहे हैं शेन कीथ वार्न की। गेंदबाजी के शिखर रचने वाले लेग स्पिन के जादूगर शेन वार्न की । जिनकी घूमती गेंदों ने टेस्ट क्रिकेट में 708 विकेट की वो लकीर खींची,जिसे कुछ दिनों पहले मुथैया मुरलीथरन ने छोटा कर दिया। वनडे में भी 194 मैचों में 293 विकेट शेन के नाम रहे। लेकिन,शेन वार्न की शख्सियत को इन आंकडों के दायरे में बांधकर नहीं देखा जा सकता। टेस्ट में मुरलीथरन ने उनसे बड़ी लकीर खींची है,वनडे में भी शेन वार्न का इकोनॉमी रेट उन्हें बेमिसाल गेंदबाज की तरह पेश नहीं कर पाता। लेकिन,शेन वार्न की ताकत ये आंकडे नहीं थे। शेन की ताकत थे उनकी बड़े मौकों पर स्ट्राइक करना।
मुझे अभी भी याद है मोहाली में वेस्टइंडीज और आस्ट्रेलिया के बीच खेला गया वर्ल्ड कप 1995 का सेमीफाइनल। रिची रिचर्डसन की टीम 208 रन के लक्ष्य से महज 29 रन दूर थी। इसके साथ सात विकेट भी बाकी थे। खुद रिची एक छोर को संभाले खड़े थे। उन्हें वर्ल्ड कप सामने दिखायी दे रहा था। ऐसे मौके पर कप्तान मार्क टेलर ने शेन की ओर गेंद उछाली। देखते ही देखते पूरी तस्वीर का रुख बदल गया। वार्न ने मोर्चा संभालते हुए एक के बाद एक गिब्स,एडम्स और एयान बिशप को पैवेलियन की राह दिखायी। सिर्फ 29 रन के दौरान बाकी सात विकेट गिर चुके थे। रिची रिचर्डसन एक छोर पर खड़े ये सारा नज़ारा देखते रहे,और उसके साथ ड्रेसिंग रुम की ओर लौट गए। ये वार्न का जादू है। जब हालात मुश्किल हो,रास्ता न निकल रहा हो,वार्न वहां से अपनी राह तलाशते हैं।
दरअसल, वार्न की सबसे बड़ी खूबी है कि अपने काम को डूबकर अंजाम देना। बॉलिंग रनअप पर कदम बढ़ाते वार्न को देखिए..स्पिनर होने के बावजूद अपने हाव भाव से वो बल्लेबाज में एकबारगी खौफ पैदा कर देते है। कुछ ऐसा आभास देते हुए कि सिर्फ और सिर्फ विकेट निकालना ही उनका काम है। इसके लिए,वार्न ने अपनी गेंदबाजी में लगातार नए से नए प्रयोग किए और जूटर,स्लाइडर समेत कई तरह की स्पिन के तीर अपने तरकश में जोड़े। नतीजा सामने था,तेंज़ गेंदबाजी और पावर क्रिकेट के दौर में शेन वार्न ने गेंदबाजी का शिखर पर चढ़ते हुए वर्ल्ड कप के फाइनल में मैन ऑफ द मैच का खिताब अपने नाम किया, टेस्ट हैट्रिक पूरी की और फिर सदी के सबसे महान पांच टेस्ट क्रिकेटरों में भी अपना नाम शुमार करा लिया। हां,फिरकी का ये बादशाह भारतीय उपमहाद्वीप खासकर भारत में कभी अपना जलवा नहीं दिखा पाया।
इन सबके बीच,कभी सट्टेबाजी,कभी महिलाओं के साथ रंगरलियां मनाने और कभी ड्रग्स के चलते वो विवादों में रहे। लेकिन बावजूद इसके उनकी गेंदबाजी में कहीं इसकी छाप दिखायी नहीं दी। जब भी उन्होंने गेंद हाथ मे संभाली तो बल्लेबाज उनके निशाने पर थे।
इसकी कीमत उन्हें जरुर आस्ट्रेलियाई कप्तानी न मिलने के एवज में चुकानी पड़ी।
एक साल पहले तक जब उन्होंने अपने चहेती स्टेज से अलविदा कहा,तब भी उनका जादू बरकरार था। पंद्रह साल पहले फेंकी गई गेंद तब भी वैसे ही घूम रही थी। वो गेंद आज भी घूम रही है। लेकिन,फर्क इतना है कि वार्न फर्स्ट क्लास से अलविदा कहकर क्रिकेट की एक नयी दुनिया में अपना जादू बिखेर रहे हैं। इसके बीच में बराबार कुछ ऐसा अहसास कराते हैं -मानो आस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी न मिलने और भारत के लोगों को अपने जादू का अहसास न करा पाने की कसक की भरपाई यहां करके रहेंगे। राजस्थान रॉयल्स के अंजान चेहरों को वो आईपीएल की भीड़ में एक अलग मुकाम दिलाने में लगे हैं।
Saturday, September 6, 2008
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1 comment:
वार्न का जबाब नहीं...
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