Friday, April 17, 2009

अनलिमिटेड मनोरंजन के पैकेज में तब्दील एक ‘रिएलिटी शो’

न तो ये दक्षिण अफ्रीकी टीमें थी, न ही इन टीमों ने दुनिया फतेह की थी। लेकिन,इसके बावजूद 35 लाख की आबादी वाले केपटाउन ने इन टीमों की अगुआई में पलके बिछा दी। खुली बसों में सवार जयसूर्या और जहीर खान की मुंबई इंडियंस थी, नाचते इठलाते श्रीसंत और युवराज की किंग्स इलेवन थी। सौरव और शाहरुख की नाइट राइडर्स थी। ये इंडियन प्रीमियर लीग की आठ टीमों का कारवां था। अपनी जमी से हजारों मीलों दूर सड़क के दोनों ओर खड़े केपटाउन के सैकड़ों खेल प्रेमियों से सवाल करता हुआ-आप किसकी तरफ हैं।बेशक मजबूरी में ही सही रग्बी और फुटबॉल के दीवाने दक्षिण अफ्रीका में आईपीएल के विस्तार की ये एक नयी कोशिश है। पिछले साल आईपीएल ने अपने घर में वफादारी बटोरने की ऐसी ही कोशिश की थी। कोलकाता से चेन्नई, दिल्ली से मुंबई, महानगरों के बीच क्रिकेट की वफादारी को समेटा जा रहा था। अब केपटाउन की सड़कों और गलियों से गुजरते ऐसे काफिलों और कार्निवल के जरिए दक्षिण अफ्रीकी शहरों में भी ये कवायद शुरु हो गई है। चीयरलीडर्स के थिरकते कदमों ,गीत संगीत की सुर लहरियों और ग्लैमर के चकाचौंध में इस मुहिम को परवान चढ़ाया जाएगा। लेकिन , इन सबके बीच क्रिकेट अपनी जगह ठहरकर रह जाएगा। और उसका शो यानी आईपीएल आगे और आगे निकल जाएगा।

दरअसल, आईपीएल का शो फिल्म की अवधारणा के बरक्स उसी की तर्ज पर एक रिएलिटी शो रचने की कोशिश है ताकि टीवी के जरिए उसे भुनाया जा सके। रिएलिटी शो में कहने को एक असली कहानी होती है। लेकिन,फिल्म से होड़ लेने के चक्कर में उसने नाटकीय उतार चढ़ाव भरपूर होते हैं। आखिर क्या होता है रिएलिटी शो में ? टीवी के पर्दे पर उतरती इस रिएलिटी में पहले से लिखी किसी स्क्रिप्ट की जरुरत नहीं होती। न ही किसी बड़े स्टार की। यहां एक या एक से अधिक आदमियों की असली कहानी क्लाइमेक्स की ओर रुख करती है। इसी के चलते 60 के दशक में सात साल की उम्र के बच्चों के इंटरव्यू पर बने कार्यक्रम सेवन अप ने रातों रात उन्हें स्टार में तब्दील कर दिया। पिछले पांच साल में अमेरिकन आइडल ने टेलीविजन स्क्रीन पर कब्जा जमा लिया। आलम ये है कि आज इंग्लैंड से लेकर अमेरिका में टेलीविजन पर रिएलिटी शो ही नहीं चलते। रिएलिटी चैनल उभार ले चुके हैं। रिएलिटी टीवी मौजूदा दौर की एक बड़ी हकीकत है। न्यूज चैनल का भी रिएलिटी के इर्दगिर्द सिमट जाना इसका गवाह है। इसका एक सीधा गणित है। जितनी ज्यादा जीवंत तस्वीरें ,उतने ही ज्यादा दर्शक।

आईपीएल भी क्रिकेट का ऐसा ही रिएलिटी शो है। इसके आयोजकों ने बेहद चतुराई से इसे एक रिएलिटी शो में बदल दिया है। मजेदार बात ये है कि टी-20 के बेहतरीन फॉर्मेट में उसे कुछ करना ही नहीं पड़ा है। तीन घंटे के इस खेल में एक की जीत तो दूसरी की हार तय है। यानी सीधी सीधे एक रिएलिटी मौजूद है। इस ठोस भरोसे के साथ ही कि शो खत्म होने के साथ ही आप एक टीम को जीतते हुए देखेंगे तो दूसरे का हारना तय है। इस हार और जीत के बीच नाटकीय उतार चढ़ाव तो होंगे ही। इतना ही नहीं ,इसमें ज्यादा से ज्यादा नाटकीय पहलू भरने के लिए फॉर्मेट को तीन घंटे के एक पैकेज में बदल दिया गया है। यहां क्रिकेट को शिद्दत से जीने वाले के लिए जितनी गुंजाइश है, उतनी ही संभावनाएं क्रिकेट की ओर मुड़ते नए दर्शकों के लिए भी मौजूद है। मुकाबले के मोड़ पर रणनीति और उसकी सोच से रुबरु कराने के लिए कमेंटेटर मैदान पर फील्डर से लेकर बल्लेबाज तक से सीधी बात करता है। ये एक ऐसी दुनिया है,जहां क्रिकेट का चहेता नहीं पहुंच पाया था। दूसरी ओर,नौजवान और क्रिकेट से नए जुड़ने वाले वर्ग के लिए सीमारेखा से बाहर चीयरलीडर्स से लेकर गीत संगीत और ग्लैमर सभी मौजूद है। ये आज के दौर के प्रतीक शॉपिंग मॉल में बने मल्टीप्लेक्स की तरह है। यहां आप सिर्फ फिल्म नहीं देखते। यहां खाने पीने से लेकर खरीदारी तक के कई विकल्प मौजूद हैं।

चाहें तो कह लें आईपीएल के शो में सीधे सीधे ये किसी फिल्म का सजा सजाया एक सैट है। इस सैट को एक पर्दा चाहिए। टेलीविजन इसे ये पर्दा या मंच मुहैया कराता है। एक बेहतरीन रिएलिटी शो टेलीविजन स्क्रीन से आपके घर के ड्राइंगरुम में दाखिल हो जाता है। ये ऐलान करते हुए कि इस स्क्रीन के सहारे ये आईपीएल कहीं भी हो सकता है। इसे सिर्फ एक ढांचा चाहिए, जिसके इर्द गिर्द क्रिकेट को खड़ा किया जा सके। इसीलिए, भारत से लेकर दक्षिण अफ्रीका तक , इंग्लैंड से लेकर आस्ट्रेलिया तक, आईपीएल देश की हदों के पार जाकर रिएलिटी शो और मनोरंजन का एक बेहतरीन पैकेज बनकर सामने आ रहा है।


सिनेमा का शो तो खैर एक मनोरंजन है। फिर चाहे इस मनोरंजन के स्वस्थ या अस्वस्थ होने के बारे में हजारों सवाल क्यों न उठें लेकिन खेल सिर्फ मनोरंजन ही नहीं है। मनोरंजन में कुछ भी दांव पर नहीं होता। आप फिल्म देखते हैं तो घटनाओं का दबाव आप पर हावी नहीं होता लेकिन खेल में एक पहचान जुड़ी होती है। कभी मुहल्ले की, कभी राज्य की तो कभी देश की पहचान। इसी के इर्दगिर्द खिलाड़ी को खड़ा कर दर्शक इससे जुड़ता है। चाहे वो मैदान में पहुंचे या स्क्रीन के सामने बैठे, वो किसी एक टीम या एक खिलाड़ी के प्रति झुका रहता है। इसीलिए अपनी पसंदीदा टीम की हार में दुखी होता है। तो जीत में खुश हो जाता है। हार की वजहों का पोस्टमार्टम करता है तो जीत में अपने हीरो तलाशता है। खेल में सचमुच की घटना घटित होती है। फिर,खेल आंकड़ों में भी दर्ज होता है। इतिहास में भी तब्दील होता है। हार से उपजे दुख और जीत से बहते सुख में लिपटकर सामने आता है। बावजूद इसके आईपीएल ने रिएलिटी शो के फॉर्मेट को भुनाकर क्रिकेट को ऐसे मनोरंजन में बदल दिया है,जहां बहुत ज्यादा दिमाग लगाने की जरुरत नहीं है। ये एक अनलिमिटेड मनोरंजन है। एक पूरे का पूरा पैकेज।

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