टी- ट्वेंटी के रोमांच के बीच मुझे अचानक आज बॉबी फिशर याद आ गए। शतरंज की दुनिया में अकेले दम सोवियत किले को ध्वस्त करने वाले बेजोड़ फिशर। फिशर का कहना था, “शतरंज की बिसात पर हार जीत के लिये मैं मनोविज्ञान पर भरोसा नहीं करता। मैं सिर्फ और सिर्फ सही मूव पर भरोसा करता हूं।” ट्वेंटी ट्वेंटी का रोमांच भी सिर्फ उसकी रफ़्तार में नहीं, हर पल आते उतार चदाव में भी छिपा है। और ये उतार चढ़ाव छिपा है कप्तान की चली जा रही चालों में। उसके हर मूव से मुकाबला नया मोड़ लेता है। नए रोमांच से रुबरु कराता है। और इस मूव में अब उसका सबसे बड़ा मोहरा है स्पिनर।
खास बात ये कि इस मोहरे को लेकर चली जा रही हर चाल बेहद दिलचस्प है। ये ट्वेंटी ट्वेंटी के खेल में बनी बनाईं धारणाओं को तोड़ रही है। सोच को हर पल नया विस्तार दे रही है। इस प्रतियोगिता के शुरू होते ही अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, शेन वार्न और मुरलीधरन ने अपने अनुभव और चतुराई भरी गेंदों से एलान कर दिया था कि ट्वेंटी ट्वेंटी की इस रफ़्तार के बीच स्पिन गेंदबाजी को खारिज नहीं किया जा सकता। प्रज्ञान ओझा, अमित मिश्र, युसूफ पठान, और अपन्ना ट्वेंटी ट्वेंटी पर मजबूत होती स्पिन की पकड़ को और आगे ले गये। इस हद तक की कप्तान पॉवर प्ले के पहले 6 ओवर में ही उन्हें आक्रमण पर लगाने का दांव खेलने लगे। लेकिन अब कप्तान खालिस स्पिनर पर ही निर्भर नहीं है। वो मुकाबले में हाथ से छिटकती बाज़ी को अपनी और मोड़ने के लिये किसी भी काम चलाऊ स्पिनर की और गेंद उछाल सकते हैं।
सोमवार को डेक्कन चार्जर्स के कप्तान गिलक्रिस्ट और चेन्नई सुपर किंग्स के कप्तान धोनी दोनों ने ये चाल चली। ये हताशा में लिये फैसले नहीं थे। सीधे सीधे एक बेहतरीन मूव था। चेन्नई के मैथ्यू हेडन और सुरेश रैना के आक्रामक तेवेरों के सामने इस प्रतियोगिता में सबसे बेहतर दिख रही आरपी सिंह और फिडल एडवर्ड्स की जोड़ी कोई असर नहीं छोड़ पा रही थी। महज पांच ओवर में ये दोनों बल्लेबाज 55 रन जोड़ चुके थे। ऐसे मौके पर गिलक्रिस्ट ने दोनों ओर से स्पिन गेंदबाजों को आक्रमण पर लगाया। लेकिन अपने सबसे बेहतर स्पिनर प्रज्ञान ओझा को इस मुहिम से दूर रखा। एक छोर पर वेणुगोपाल राव थे। दूसरे छोर पर रोहित शर्मा। लेकिन गिलक्रिस्ट का यह मूव रंग लाया। रोहित ने अपनी पांचवी गेंद पर ही रैना को खूबसूरती से लपकते हुय इस खतरनाक बनती साझेदारी को रोक दिया।
इसी तरह गिलक्रिस्ट और हर्शल गिब्स धोनी के दोनों तेज गेंदबाजों बालाजी और गोनी के खिलाफ जमकर स्ट्रोक खेल रहे थे। ऐसा लग रहा था की 166 रन का लक्ष्य वो महज १५ ओवर में पूरा कर लेंगे। इस मौके पर धोनी ने एक एंड से मुरलीधरन को लगाया तो दूसरे एंड से गेंद सुरेश रैना को गेंद सौंप दी। दांहिने हाथ से ऑफ स्पिन फ़ेंक रहे रैना ने पहले कुछ धीमी और वाइड गेंद पर गिलक्रिस्ट को जल्दी स्ट्रोक खेलने को मजबूर किया। थर्डमैन पर मौजूद मुरली ने उन्हे लपकने में कोई चूक नहीं की। अगले ही ओवर में लक्ष्मण को ठीक इसी तरह ओरम के हाथों कैच कराया। इन दो विकेट के गिरने के साथ ही अभी तक एकतरफा दिख रहा मुकाबला बराबरी में बदलने लगा। सिर्फ तीन गेंद पहले ही चेन्नई जीत तक पहुंच पाया। लेकिन मैं हार और जीत के पार जाकर कप्तानों की सोच को पकड़ने की कोशिश कर रहा हूं।
इस मुकाबले में दोनों कप्तानो के ये फैसले ज़ाहिर कर रहे थे हर गुजरती गेंद के साथ धीमी गेंदबाजी में बढ़ते उनके भरोसे को। इस भरोसे के सहारे नए नए मूव रचती उनकी सोच को। दरअसल, इन दोनों कप्तानों ने इन गेंदबाजों को विकेट लेने के बावजूद आक्रमण से हटाया नहीं। गिलक्रिस्ट ने राव से लगातार तीन ओवर फिंकवाये तो धोनी ने रैना से पूरे चार ओवर का स्पेल डलवाया। इन चार ओवर में रैना ने डेक्कन के बल्लेबाजी पर नकेल कस ली। दरअसल, तेज गेंदबाजी के खिलाफ बल्लेबाज गेंद की रफ़्तार के साथ अपने स्ट्रोक को पूरा कर सकता है। लेकिन धीमी गेंदबाजी के सामने उसे अपने स्ट्रोक को बनाना पड़ता है। गेंद की रफ़्तार, उसके घुमाव और दिशा को आखिरी मौके तक पढ़ते हुए। स्पिनर की सोच से आगे जाते हुए। फिर दक्षिण अफ्रीकी विकेटों पर मिलती मदद के बीच धीमे गेंदबाज ज्यादा कारगर होते जा रहे हैं। इसी का नतीज़ा है कि इस प्रतियोगिता में अभी तक सबसे ज्यादा किफायती 15 गेंदबाजों में 12 स्पिनर हैं। फिर यह 12 स्पिनर अपने एक ओवर ने 4.5 से 6.5 रन तक ही खर्च कर रहे। बल्लेबाजों के ट्वेंटी ट्वेंटी की रफ़्तार में यह आंकडा बहुत मायने रखता है। यही वजह हे की कप्तान इनके इर्द गिर्द अपनी रणनीति को नया विस्तार दे रहे हैं। अपना हर दूसरा मूव बना रहे हैं। अभी तो यह प्रतियोगिता अपने पहले हफ्ते में है। आने वाले दिनों में सिर्फ 20 ओवर में सिमटे इस खेल में हम धीमी गेंदबाजी को लेकर प्रयोगों में नया विस्तार देख सकते हैं। शतरंज की बिसात की तरह सजी इस ट्वेंटी ट्वेंटी की स्टेज पर कुछ नए मूव। शायद इसीलिये आज मुझे फिशर याद आ रहे थे।
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1 comment:
स्पिन गेंदबाजी खेलना वाकई बहुत मुश्किल काम है..यही कारण है कि विश्व के सर्वाधिक विकेट इन्हीं के नाम हैं.
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