Wednesday, December 10, 2008

क्रिकेट की खूबसूरती के बीच आतंक को मात देने की कोशिश

एक न्यूज़फोटोग्राफर की चुनौती बेहद दिलचस्प होती है। रिपोर्टर को अपनी बात कहने के लिए सैकड़ों शब्दों की छूट मिल सकती है, लेकिन फोटोग्राफर एक ठहरे हुए फ्रेम में पूरी कहानी को समेटे आपसे रुबरु होता है। कभी न थमने वाले वक्त को भी कुछ पलों के लिए वह अपने कैमरे में कैद करता है। कहानी के बीते कल, आज और आने वाले कल के तीनों छोर को पकड़ने की कोशिश करता है। चेन्नई में गुरुवार से शुरु हो रहे पहले टेस्ट मैच से जुड़े हर दूसरे फोटोग्राफ को देखिए। आप इस पहलू से बखूबी रुबरु होंगे।

मैदान में अभ्यास के दौरान कप्तान पीटरसन और गेंदबाजी कोच एशले जाइल्स से बतियाते फ्लिंटाफ की पृष्ठभूमि में आपको खाकी वर्दी में मुस्तैद पुलिसकर्मी मिलेंगे। अभ्यास से ड्रेसिंग रुम की तरफ लौटते कप्तान पीटरसन के फ्रेम में संगीनधारी पुलिसकर्मी और कमांडो दिखायी देंगे। चेपक की छत पर चहलकदमी करता कमांडो एक पूरी कहानी को समेटे खड़ा है।


इन तस्वीरों पर निगाह डालते ही मौजूदा घटनाक्रम से अंजान शख्स भी महसूस कर सकता है कि ये सिर्फ क्रिकेट नहीं है। यहां क्रिकेट से सुरक्षा के तार कहीं बहुत गहरे जुड़े हैं। यही भारत और इंग्लैंड के बीच खेली जा रही सीरिज का सबसे बड़ा सच भी है। यहां सिर्फ दो टीमों के बीच ही टेस्ट नहीं खेला जा रहा। यहां क्रिकेट जरिया बना है, आम आदमी और आतंक के बीच जारी जंग से पार पाने का। उसके व्यवस्था में खोए भरोसे को लौटा लाने का। यहां इन दोनों टीमों की हार और जीत से पहले ज़रुरी है, इस सीरिज का सलामती से अंजाम तक पहुंचना। यही इस सीरीज का अनकहा मकसद है। इसी मकसद में टीमों की हार-जीत से पहले क्रिकेट की जीत छिपी है।

मैं भी इसी भरोसे के साथ इस सीरिज की ओर निगाह डाल रहा हूं। मेरा ये भरोसा है, और इसकी ठोस वजह है। बीते कल से जुड़ी एक मिसाल है, जो बार-बार इस भरोसे को मजबूती देती है। ये सिर्फ संयोग ही है कि ये मिसाल भी इन दोनों टीमों से ही जुड़ी है।

अब से ठीक सात साल पहले अहमदाबाद में ये दोनों टीमें एक दूसरे के सामने मैदान पर थीं। ये भी एक संयोग है कि वो मुकाबला भी 11 दिसंबर को ही शुरु हुआ था। मोहाली में पहले टेस्ट में शिकस्त के बावजूद नासिर हुसैन की टीम ने पहले दो दिन बेहद मजबूती से भारतीय गेंदबाजी का जवाब देते हुए 400 रनों का स्कोर खड़ा किया था। भारत की शुरुआत लड़खड़ाहट भरी रही। भारत चार विकेट गंवा चुका था। तीसरे दिन लंच के आसपास सचिन तेंदुलकर और वीवीएस लक्ष्मण विकेट पर मौजूद थे। उसी वक्त भारतीय संसद पर आतंकवादियों ने हमला कर दिया। ये महज एक आतंकी कार्रवाई नहीं थी। ये भारतीय लोकतंत्र के सबसे बड़े प्रतीक पर सबसे बड़ा हमला था। अब एक तरफ टेस्ट मैच का सीधा प्रसारण था, दूसरी ओर न्यूज़ चैनलों पर इस आतंकी हमले की सीधी तस्वीरें हर भारतीय को अंदर तक झकझोर रही थी। एकबारगी लगा कि न सिर्फ ये टेस्ट मैच ही बीच में रोक दिया जाएगा,ये दौरा भी यहीं खत्म कर इंग्लैंड टीम वापस लौट जाएगी। इस हमले की गूंज इतनी दूर तक प‍हूंची कि इसे अंजाम देने वाले लश्‍करे-तयब्‍बा को बैन कर दिया गया। भारत और पाकिस्‍तान की सीमाओं पर फौजों की सरगर्मियां बढ़ गईं। दोनों देशों के बीच युद्ध के से हालात पैदा हो गए थे।

लेकिन, न तो टेस्ट रुका और न ही इंग्लैंड की टीम बीच दौरे से वापस लौटी। नासिर हुसैन की टीम ने इस हमले से बेपरवाह सीरिज को आगे बढ़ाया। ये सीरिज भारत और इंग्लैंड के बीच एक सबसे यादगार दौरे की तरह दर्ज हो गई। इस सीरिज में नासिर हुसैन की कप्तानी ने आलोचकों को अपना मुरीद बना दिया। शायद, इसी सीरिज की कप्तानी थी, जिसके चलते तेंदुलकर ने नासिर हुसैन को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ कप्तानों में एक ठहराया है। इस सीरिज में हमने देखा सचिन तेंदुलकर और एशले जायल्स के बीच एक दिलचस्प संघर्ष। हमने देखा वानखेड़े वनडे में भारत को जीत की दहलीज से वापस लौटाते फ्लिंटाफ को। इस सीरिज के आखिरी दिन हमने देखा अपनी टीम 3-3 की बराबरी पर लाते जीत के जुनून में डूबे फ्लिंटाफ को। वानखेड़े में नंगे बदन अपनी शर्ट लहराते फ्लिंटाफ। एक ऐसी तस्वीर, जिसका जवाब नेटवेस्ट ट्रॉफी जीतते हुए लॉर्ड्स की बालकनी से सौरव गांगुली ने दिया।

इंग्लैंड ने तो 2005 में एशेज के दौरान ही लंदन के ट्यूब धमाकों को झेला है। उस वक्त वो ठीक भारत की स्थिति में खड़ा था। आज जिस जगह इंग्लैंड खड़ा है, उस वक्त वहां आस्ट्रेलिया खड़ा था। आस्ट्रेलिया ने भी सीरिज को जारी रखते हुए क्रिकेट के जरिए आतंकवादियों के नापाक इरादों का मुंहतोड़ जवाब दिया था। अब यही काम भारत और इंग्लैंड की टीमों को करना है। अहमदाबाद और लंदन के वाकयों की तरह ये सीरिज भी क्रिकेट के जरिए आतंक को हाशिए पर ढकेलने की बड़ी कोशिश की तरह सामने है।

अब, गुरुवार की सुबह ये दोनों टीमें जब मैदान में उतरेंगी, तो सुरक्षा बंदोबस्त में जुटे 3000 पुलिसकर्मियों की छवि पीछे छूट जाएगी। होटल से ड्रेसिंग रुम तक मौजूद कमांडो के साए से खिलाड़ी उबर जाएंगे। मैदान में होगा क्रिकेट का वो मूल नियम, जहां हर गेंद के साथ एक नयी जंग परवान चढ़ती है। यहां हार्मिंसन की उछाल लेती गेंदों से लेकर एंडरसन की आउटस्विंगर और फ्लिंटाफ की तेजी के साथ साथ पनेसर की घुमाव लेती गेंदें भारतीय बल्लेबाजों से पार पाने की कोशिश में जुट जाएंगी। वीरेन्द्र सहवाग से लेकर गौतम गंभीर और सचिन से लेकर लक्ष्मण तक टेस्ट क्रिकेट में अपने सुनहरे सफर को आगे ले जाएंगे। महेन्द्र सिंह धोनी पहली बार एक पूरी सीरिज में भारतीय टेस्ट टीम की कप्तानी संभालेंगे। भारतीय टीम अनिल कुंबले और सौरव गांगुली के बाद बदलाव के नए दौर से रुबरु होगी।

कुल मिलाकर, बात पूरी तरह से क्रिकेट के इर्द-गिर्द घूमेगी, तो एक बहस भी उभार लेगी। पीटरसन की ये टीम बिना किसी वार्मअप गेम के सीधे टेस्ट मैच में उतर रही है। चार महीने पहले उन्होंने अपना आखिरी टेस्ट खेला था। लेकिन, जैसा एलियस्टर कुक का कहना है कि क्रिकेट तकनीक से ज्यादा दिमागी खेल है, और आप कैसे खुद को इसके अनुरुप ढालते हैं, यही मायने रखता है। सिर्फ एक दिन में आप अपनी तकनीक अचानक गंवा नहीं देते। इसलिए, बेशक पीटरसन की टीम वनडे सीरिज में बुरी तरह परास्त हुई हो, लेकिन टेस्ट में आप उनकी वापसी की उम्मीद को नकार नहीं सकते। हो सकता है कि मैदान के बाहर के मौजूदा हालात के बीच एक-दूसरे को हौसला देते हुए वो एक बेहतरीन यूनिट की शक्ल ले रहे हों। उम्मीद की जानी चाहिए कि ऐसा ही इंग्लैंड खेमे में हो रहा होगा। अगर इंग्लैंड एक बेहतरीन यूनिट की तरह धोनी की शिखर की ओर बढ़ती टीम को जवाब देता है, तो ये एक यादगार सीरिज होगी। अब, हम सभी को इंतजार है एक ऐसी ठहरी तस्वीर का, जिसमें क्रिकेट अपनी खूबसूरती के बीच भय के इस माहौल को पीछे छोड़कर आगे जा निकले।

1 comment:

MANVINDER BHIMBER said...

repoter ko shabad khopjne padte hai lekin photogrefer ko bas ek right clik