Wednesday, August 20, 2008

नयी चुनौती से वाबस्‍ता युवराज

बुधवार की दोपहर इसी श्रीलंका के दाबुंला में पैवेलियन लौटते युवराज एक बार फिर सवालों का बोझ साथ लिए लौट रहे थे। स्पिन को लेकर उनके बल्ले पर उठाए गए सवाल एक बार फिर उनके साथ जुड़ गए थे। इस बार इस कड़ी में एक नया नाम था अजंता मेंडिस।

युवराज सिंह के जेहन में श्रीलंका ढेरों यादगार लम्हों को समेटे मौजूद रहता होगा। अब से 9 साल पहले इसी श्रीलंका से युवराज ने एक परीकथा की तरह यादगार सफर का आगाज़ किया था। यहां अंडर 19 वर्ल्ड कप में उनके बल्ले से बहे स्ट्रोक की गूंज क्रिकेट की बाकी दुनिया में मसहूस की गई। इस हद तक कि इसके फौरन बाद केन्या में खेली गई आईसीसी चैंपियंस ट्राफी में अकेले दम युवराज ने जब ऑस्ट्रेलिया की वर्ल्ड चैंपियन टीम पर जीत दर्ज करायी तो किसी को हैरानी नहीं हुई। इसी श्रीलंका में युवराज ने मुरली की पहेली को भी उन्हीं के घर में सुलझाने में कामयाबी पाई। अपने करियर की शुरुआत में मुरली के खिलाफ लड़खड़ाए युवराज ने 2001 में कोलंबो में भारत की जीत में 98 रन की यादगार पारी खेल मुरली की गेंदों को बखूबी जवाब दिया।

लेकिन, बुधवार की दोपहर इसी श्रीलंका के दाबुंला में पैवेलियन लौटते युवराज एक बार फिर सवालों का बोझ साथ लिए लौट रहे थे। स्पिन को लेकर उनके बल्ले पर उठाए सवाल एक बार फिर उनके साथ जुड़ गए थे। इस बार इस कड़ी में एक नया नाम था अजंता मेंडिस। पिछले दो महीने के दौरान भारतीय बल्लेबाजी पर खौफ की तरह दर्ज हो चुके मेंडिस के नए निशाने में युवराज सबसे ऊपर हैं। पिछले तीन वनडे मुकाबलों में हर बार मेंडिस ही उनके विकेट तक पहुंचते रहे हैं। लेकिन, सिर्फ उनके विकेट तक पहुंचना ही एक पहलू नहीं है, जो युवराज को परेशान किए होगा। दरअसल, इन तीन मुकाबलों के दौरान युवराज ने मेंडिस की सिर्फ 15 गेंदों का सामना किया है और महज सात रन उनके बल्ले से निकले हैं। इन सात रन में भी सिर्फ दो स्कोरिंग स्ट्रोक युवराज के नाम से जुड़े हैं। वरना, बाकी 13 गेंदों पर उनका बल्ला पूरी तरह मेंडिस की पहेली को सुलझाने में जूझता रहा है।

दरअसल, ये भारत और श्रीलंका के बीच खेले जा रहे मुकाबले के दरम्यान इन दोनों के बीच एक नई जंग की तरह है। मेंडिस ने कराची में भारत के खिलाफ अपने पहले वनडे में युवराज को दूसरी ही गेंद पर बोल्ड कर इस मुकाबले की शुरुआत की थी। मिडिल स्टंप पर पड़ी उस गेंद पर जब तक युवराज अपना बल्ला लगा पाते, उनका विकेट जा चुका था। कराची से दांबुला के बीच युवराज और मेंडिस का सामना नहीं हुआ। लेकिन, इस दौरान मेंडिस ने भारत के गोल्डन मिडिल ऑर्डर पर इस कदर कहर बरपाया कि भारतीय क्रिकेट के सामने मेंडिस मेनिया से बाहर निकलना सबसे बड़ी चुनौती बन गई।

पूरी सीरिज में मेंडिस ने लक्ष्मण को पांच बार अपना शिकार बनाया, जबकि भारतीय बल्लेबाजी में रक्षण की सबसे बड़ी दीवार द्रविड़ भी छह पारियों में चार बार मेंडिस से पार नहीं पा सके। तेंदुलकर को भी इस पहेली को सुलझाने में कामयाबी नहीं मिली। सौरव गांगुली जरुर मेंडिस का शिकार नहीं बने, लेकिन इस सीरिज में उनका बल्ला भी खामोश ही रहा। यानी कुल मिलाकर टेस्ट सीरिज में गोल्डन मिडिल ऑर्डर और मेंडिस-मुरली की जंग में सीरिज तय हो गई। ले-देकर सिर्फ एक बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग ही मेंडिस का जवाब देते नज़र आए। लेकिन, वनडे सीरिज शुरु होने से पहले ही चोट की वजह से उनके बाहर होते ही भारतीय बल्लेबाजी पूरी तरह से युवराज के इर्दगिर्द सिमट गई। श्रीलंकाई थिंकटैंक ने मेंडिस की अगुआई में इस जंग को इन दोनों के बीच समेट दिया। इसमें अब तक मेंडिस को लगातार जीत मिल रही है।

यानी अब गेंद युवराज के पाले में है। पिछले आठ साल से भारतीय क्रिकेट में एक अहम जगह बना चुके युवराज के सामने मेंडिस की पहेली से पार पाने की चुनौती है। युवराज ने अपने करियर में लगातार चुनौतियों से पार भी पाया है। शुरुआती दौर में उन्हें वनडे क्रिकेट का बल्लेबाज कहा जाता था, लेकिन उन्होंने धीरे-धीरे टेस्ट में भी बड़ी पारियां खेल जगह बनायी। पिछले साल ही 20-20 में स्टुअर्ट ब्रॉड के एक ओवर में छह छक्के जमाने के बाद पाकिस्तान के खिलाफ बैंगलोर में उनका धुआंधार शतक इस पहलू को पुख्ता भी करता है।

क्वालिटी स्पिन के खिलाफ उनके बल्ले पर खड़े किए गए सवालों का भी युवराज ने बखूबी जवाब दिया है। मुरली के सामने मजबूती से टिके युवराज इसे साबित भी करते हैं। अब, इस नयी चुनौती मेंडिस से युवराज कैसे पार पाते हैं, अपने बल्ले, अपनी सोच और अपनी क्रिकेट को कितना ढालते हैं- इस पर क्रिकेट की बाकी दुनिया की नजर रहेगी। यानी मेंडिस और युवराज के बीच इस दिलचस्प जंग को जितना करीब से हो सके, देखिए। क्रिकेट की खूबसूरती से बराबर रुबरु होते रहेंगे।

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